इस Startup Founder ने सेकेंड हैंड लैपटॉप से खड़ा किया बड़ा बिजनेस, बनाया भारत का पहला रियूजेबल हाइब्रिड रॉकेट
कहते हैं कि अगर आप सच्चे दिल से कुछ चाहते हैं तो पूरी कायनात उसे पूरी करने की कोशिश करती है. यह कहावत स्पेसजोन के मामले में सटीक बैठती है. कंपनी के फाउंडर आनंद मेगालिंगम ने इस स्टार्टअप की शुरुआत सेकेंड हैंड लैपटॉप के साथ की थी.
हाल ही में एक स्पेस स्टार्टअप (Space Startup) स्पेसजोन (Space Zone) ने इतिहास रचते हुए एक रॉकेट लॉन्च किया था. 24 अगस्त की सुबह इस स्टार्टअप ने देश के पहले रियूजेबल हाइब्रिड रॉकेट रूमी-1 को लॉन्च किया. यह लॉन्चिंग चेन्नई के ईस्ट कोस्ट रोड तट से एक मोबाइल लॉन्चर के जरिए किया गया, जिसके बाद हर ओर स्पेसजोन स्टार्टअप की चर्चा होने लगी. यह रॉकेट ना सिर्फ आसमान में जाते हैं, बल्कि वापस भी आ सकते हैं और उन्हें दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है. हालांकि, सिर्फ ये रॉकेट लॉन्च होने भर की चर्चा काफी नहीं है, बल्कि इस स्टार्टअप और इसके फाउंडर की कहानी भी सबको पता चलनी चाहिए.
सेकेंड हैंड लैपटॉप से शुरू किया बिजनेस
कहते हैं कि अगर आप सच्चे दिल से कुछ चाहते हैं तो पूरी कायनात उसे पूरी करने की कोशिश करती है. यह कहावत स्पेसजोन के मामले में सटीक बैठती है. कंपनी के फाउंडर आनंद मेगालिंगम ने इस स्टार्टअप की शुरुआत सेकेंड हैंड लैपटॉप के साथ की थी. जब उन्होंने स्पेसजोन की शुरुआत की थी, उस वक्त उनके पासे कोई फंडिंग भी नहीं थी.
पहले ही साल 98 लाख का रेवेन्यू
स्पेसजोन को मदद मिली मार्टिन ग्रुप और एपीजे अब्दुल कलाम इंटरनेशनल फाउंडेशन जैसी संस्थाओं के सीएसआर ग्रांट से. स्पेसजोन ने अपने पहले ही साल में करीब 100 सैलेटलाइट (femto-satellites) लॉन्च किए हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आनंद ने स्पेसजोन के बिजनेस से सालाना करीब 98 लाख रुपये का रेवेन्यू जनरेट किया.
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स्पेसजोन की चर्चा पहली बार तब शुरू हुई, जब इसने पिछले ही साल हाइब्रिड रॉकेट के जरिए स्टूडेंट्स द्वारा बनाए गए करीब 150 पिकोसैटेलाइट्स (picosatellites) स्पेस में भेजे. आनंद और स्पेसजोन का टारगेट हमेशा से पूरी तरह स्पष्ट था कि वह रीयूजेबल हाइब्रिड रॉकेट स्पेस में भेजना चाहते हैं.
कहीं से भी लॉन्च हो सकते हैं रॉकेट
आनंद कहते हैं कि मोबाइल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हुए रॉकेट को कहीं से भी लॉन्च किया जा सकता है. Rhumi-1 को भी मोबाइल प्लेटफॉर्म के जरिए एक बीच से लॉन्च किया गया था. उन्होंने कहा कि मोबाइल प्लेटफॉर्म होने की वजह से रॉकेट लॉन्च कहीं से भी किए जा सकते हैं. यह लॉन्चिंग गुजरात के रेगिस्तान या दिल्ली के आस-पास से की जा सकती है, ना कि इसके लिए आपको श्रीहरिकोटा जैसी जगह से लॉन्च करने के लिए लंबा प्लान बनाना होगा.
2026 तक 100 करोड़ का हो सकता है रेवेन्यू!
वित्त वर्ष 2025 में स्पेसजोन का रेवेन्यू 5 करोड़ रुपये तक रह सकता है. वहीं आनंद का भरोसा है कि स्पेसजोन उसके अगले साल में 100 करोड़ रुपये के रेवेन्यू तक पहुंच सकता है. कंपनी का रेवेन्यू मॉडल बहुत ही आसान है कि मोबाइल प्लेटफॉर्म से रीयूजेबल रॉकेट लॉन्च करते रहो. स्टार्टअप का दावा है कि परंपरागत रॉकेट लॉन्च की तुलना में स्पेसजोन से रॉकेट लॉन्चिंग में लागत महज 1/5 आती है.
50 करोड़ की फंडिंग उठाना चाहती है कंपनी
2025 और 2027 में कंपनी Rhumi-2 और Rhumi-3 रॉकेट लॉन्च करने की तैयारी में है. आनंद का फोकस एजुकेशनल सैटेलाइट लॉन्च करने पर है और वह मानते हैं कि साल में अगर सिर्फ 8 लॉन्च भी किए जाते हैं, तो कंपनी मुनाफे में आ जाएगी. अभी ये स्टार्टअप करीब 50 करोड़ रुपये की प्री-सीरीज राउंड की फंडिंग उठाने की तैयारी कर रहा है. आनंद अपने रीयूजेबल रॉकेट की टेक्नोलॉजी को भी अपडेट करने में लगे हैं. वह पैराशूट लॉन्च सिस्टम को थ्रस्टर सिस्टम में अपग्रेड करना चाहते हैं, जिससे रॉकेट धरती पर सुरक्षित वापस आ सकें.
04:45 PM IST